बुरी यादें मिटाने और खुश रहने के लिए करें कम्पन थैरेपी
हम मनुष्य हैं और जीवन में कई बार घातक, बुरी और जानलेवा स्थिति से दो चार हो जाते हैं। बहुत ही घातक और तनावपूर्ण स्थिति में हम जड़ हो जाते हैं, लगभग मृत जैसे। आपके साथ कभी ऐसा हुआ भी होगा एक या अनेक बार या आपने सुना होगा कि एक व्यक्ति का एक्सीडेंट हुआ लेकिन उसे एक्सीडेंट से थोड़ी पहले तो सब पता था लेकिन फिर क्या हुआ कुछ पता नहीं। या किसी संभावित मृत्य के पल के समय हम एकदम जड़ हो गए थे और हमें अस्पताल में होश आया, कई बार किसी प्रियजन की मृत्यु की खबर सुनकर भी लोग एकदम जड़ हो जाते हैं, कई बार घातक और जानलेवा स्थिति जैसे हथियार लेकर खड़े हत्यारे को सामने देखकर हम सुन्न होकर बस खड़े रह जाते हैं कुछ भी नहीं कर पाते…आखिर ऐसा क्यों होता है? इसकी वजह है कुदरत का रहम। प्रकृति नहीं चाहती कि हम एक दर्दनाक मौत मरे या बहुत ही घातक स्थिति के समय हमें कोई दर्द हो या बहुत ही बुरी परिस्थिति में हमारे मस्तिष्क को कोई क्षति पहुंचे। इसलिए हम शून्य या सुन्न हो जाते हैं बिल्कुल निर्जीव की तरह। आपने कई बार टीवी पर देखा होगा कि किसी शिकारी जानवर के सामने शिकार अपने होश खो देता है और मृत दिखने लगता है, लेकिन थोड़ी देर बाद वह फिर से जीवित होकर दौड़ लगाकर भाग जाता है, जान बचाकर। प्रकृति ने सभी जीवो को दर्दनाक मौत, हादसे और घटनाओ से बचने के लिए यह ट्रिक दी है…उनके लिए यह एक त्वरित और प्राकृतिक एनेस्थेसिया है।
यदि हम जीवित बच जाते हैं और अपने मस्तिष्क को उसी वक़्त समझा लेते हैं कि अब वह घातक स्थिति जा चुकी है और लौटकर नही आएगी तो उसी समय हमारा शरीर कांपकर और गहरी गहरी सांस लेकर उस एनर्जी को रिलीज करदेता है। लेकिन अगर हम उसे रिलीज़ नहीं करते तो वह नकारात्मक ऊर्जा हमारे शरीर मे ही रह जाती है और हमारे जीवन में डर, निराशा और अवसाद पैदा करती है। हम दुःखी रहने लगते हैं, हमें जीवन मे अब आनंद नहीं आता, हम बदल जाते हैं हंसमुख से रोतलु हो जाते हैं, जिंदादिल से डरपोक और मुर्दादिल हो जाते हैं, सकारात्मक से नकारात्मक और आशावादी से निराशावादी बन जाते हैं।
हमें इससे बचने के लिए यह करना चाहिए कि उन बातों को एक एक करके शांति से एकांत में ध्यान से याद करके अपने मन, मस्तिष्क से निकाल कर बाहर कर देना चाहिए यह कहते हुए कि वह बात हो चुकी है और अब उनका कोई औचित्य नहीं है और भविष्य में वह फिर घटित नहीं होगी। जब आप ऐसा करेंगे तो वही व्यक्ति, डर या परिस्थितियां आपके मस्तिष्क के सामने आजाएँगे और आप कांपने लगेगे, थोड़ा या ज्यादा। इस कंपन को अपना मित्र समझो और इसे निर्बाध और अनवरत होने दो। जब आप अपने मन को समझा लेंगे कि अब कोई खतरा नहीं है तो फिर यह कम्पन बन्द हो जाएंगे और आप फिरसे खुश, स्वस्थ, सुंदर और ऊर्जावान बन जाएंगे…वैसे ही जैसे आप हकीकत में हैं।