सावधान दुनिया बदलने वाली है
20-22 साल जो जीना है जी लीजिये , लोगों से जितना मिलना जुलना है मिल लीजिये | तब तक मशीने , रोबोट्स आदमी को replace कर चुके होंगे | उच्च और मध्य वर्ग अवसादग्रस्त होगा और निम्न वर्ग अभिशप्त … विकास की यही दिशा है |
डीप ब्लू कम्प्यूटर से तो कॉस्प्रोव ने तो मुकाबला कर लिया था अब जो रोबोट परीक्षित हो चुका है उसने दुनिया के अब तक के सबसे कठिन माने जाने वाले खेल जिसे शायद GO कहते है उस के सबसे बड़े प्लेयर जिसे इस फील्ड में जीनियस की संज्ञा दी गई है उसे लगातार 6 बार हरा दिया है हालांकि उसने पहला गेम जीता था | उसके बाद रोबोट के कृत्रिम इंटेलिजेंस सिस्टम ने खुद को स्वयं परिष्कृत किया और तब से लगातार उस जीनियस को हरा रहा है | अब उस खिलाड़ी ने रोबोट से हार मान ली है |
मनुष्य की मेधा पर फाइनली रोबोट ने विजय प्राप्त कर ली है | क्या आपको ऐसे विकास से डर नही लगता | यदि रोबोट आपसे ज्यादा इंटेलिजेंट होकर खुद को आपकी पकड़ से बाहर कर दे और मनमाना अराजक व्यवहार करने लगे … उसका सिस्टम आआपकी हर चाल पहले ही। भांप जाये आप को खतरा मान उड़ा खत्म कर दे | अमरीकी द्रोण आखिर यही तो कर रहे है | उसे एक फोटो या फीचर बता दीजिए वो खरबों लोगों में से ढूंढ कर मार देगा | आप इसे fantasy न समझिये , यह सब तो बहुत सामान्य तकनीकी अनुप्रयोग है | इससे बहुत आगे पहुंच चुका है कम्यूटर विज्ञान ….. फिलहाल आज का सच यही है कि दुनिया के सबसे बड़े जीनियस को वह पराजित कर चुका है तो उसके आगे कौन किस खेत की मूली है | यह सारे जॉब्स खा जायेगा , यह सारा मनोरंजन खा जायेगा | यह जीवन के सारे रंग घोल के पी जायेगा | यह मानवीय भावनाओं को जल्द ही खत्म कर अपने प्रति नई किस्म का भाव जगत रचने वाला है | उसका दुख और सुख ही आपका दुख सुख होगा | वो ही आपको गाना सुनायेगा , चुटकुले सुनायेगा , पेंटिंग बना के दिखायेगा | आज आपको ( मोबाइल , कम्यूटर नेंट ) और ( किसी मनुष्य का साथ ) में से चुनना हो तो किसे चुनेंगे … Mobile से स्थायी विछोह से तुलनीय दूसरा स्थायी विछोह क्या है …
क्रिएटिव फील्ड जिसपे मानव समाज गर्व करता था कि यह गुण आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस कभी नही रिप्लेस किया जा सकता तो सूचनार्थ बता दूं कि नए प्रयोगों ने इसी विचार को सबसे ज्यादा धूसरित किया है | रोबोट वास्तविक् प्रयोगों में हर वो कलाकर्म मनुष्य से बेहतर कर के दिखा चुका है | उसकी पेंटिंग , उसका रंग संयोजन , उसका गाना सब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ से बेहतर हो चुका है | मैं अभी कोई विज्ञान की फंतासी नही बता रहा ….. यह सब और न जाने क्या क्या तो हो चुका है |
क्या आप को यदि यह बताया जाए कि आपका बन्द फोन आआपकी बातचीत रिकार्ड कर रहा था तो आप चौंकेंगे नही ….. न चौंकिए मत यह हो रहा था और उसके लिए शायद गूगल ने मुआफी भी मांगी है | आदमी की चैट की एनालिसिस microsoft कर ही रहा था …. मने आपका सब कुछ चंद कम्पनियो के हाथ मे है | निजता फिजता गुजरे जमाने की बहस हो चुकी है | अब तो बहस यह होना चाहिए कि रोबोटिक्स और AI जो भस्मासुर बनाने जा रही है , जो मिथकीय भस्मासुर की तरह मोहिनी पे मोहित भी नही होने वाला उससे कैसे बचा जाए …..
क्या हेल्थ सेक्टर और प्राकृतिक आपदा को छोड़ किसी भी क्षेत्र में दुनिया को विकास की जरूरत है ?
आखिर कितना विकास चाहिए | यह जाबलेस ग्रोथ का समय है , यह सेटल्ड बहस है | इसके बहकावे से समझदार बाहर आ चुके है | हाल तो आदमी को , डिस्प्लेस, रिप्लेस करने के आगे substitute करने तक पहुंच गया है |
जरा सोचिए , आज जिसके पास संसाधन है उसे क्या कमी है | कहने का अर्थ यह कि विकास तो हो चुका है और जरूरत से ज्यादा हो चुका है | बस जो सीमित लोगो की पहुंच में है , उसका लाभ आम लोगो की पहुंच में लाना ज्यादा जरूरी है |
आप क्या सोचते है ….दुनिया भर में बुद्धिजीवी इसी बहस में है , जैसे क्लोनिंग को बन्द किया गया , यह तो उससे भी आगे का विमर्श है …
~पंकज मिश्रा
वरिष्ठ साहित्यकार