दर्दे दिल के डर का इलाज
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दिल हमारे शरीर का एक सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। आजकल कई रोग आम होते जा रहे हैं कुछ तुरंत जान ले लेते हैं और कुछ धीरे धीरे जान लेते हैं। तुरंत जान लेने में दो बीमारियों का नाम सबसे ऊपर है- हार्ट अटैक और दूसरा ब्रेन स्ट्रोक। हार्ट अटैक के लक्षणों में हैं- सीने में दर्द, दर्द का उल्टे हाथ, पीठ और जबड़े तक जाना, घबराहट, सांस लेने में परेशानी, तेज़ ठंडा पसीना आना।
जब हमारे सामने कोई व्यक्ति अचानक हार्ट अटैक से मर जाता है तो सुरक्षा की दृष्टि से हमारा दिमाग उस बात को अपने अंदर समाहित कर लेता है कि यदि हमें यह समस्या आए तो हम अलर्ट रहे और जीवनरक्षक उपाय करें। यह एक सुरक्षात्मक प्रक्रिया है जो हमें जीवित रखने के लिए हमारा दिमाग आदि काल से अपनाता हुआ आ रहा है। अर्थात जानलेवा वस्तुओं या घटनाओं से रक्षा के लिए एक बेहतरीन सिस्टम जो कि हर जीव में होता है। जैसे कि बिजली गिरने से किसी की मृत्यु हो गई हो, या तूफान से कोई भारी जानमाल का नुकसान हो गया हो आदिमकाल से ही हमारा मस्तिष्क उन बातों को याद करके अपने अंदर एक खास जगह स्टोर कर लेता था और जब ऐसी ही परिस्थितियां फिर से पेश आती थी तो वह भागने या समस्या के समाधान के लिए बाकि शरीर को तैयार रखता था। यही कारण है कि हम हार्ट अटैक से इतने डरते हैं जबकि हमारे मस्तिष्क ने उस व्यक्ति के हार्ट अटैक की घटना को हमारा जीवन बचाने के लिए याद किया था।
लोगों का डर तब और ज्यादा हो जाता है जब उनका हमउम्र मित्र या रिश्तेदार जो उनसे स्वस्थ था अचानक हार्ट अटैक से मर जाता है। व्यक्ति इस घटना को खुद से जोड़कर देखता है और भविष्य में ऐसे एक भी लक्षण के अपने शरीर में प्रकट होने पर हार्ट अटैक मान लेता है। उसका डर इन लक्षणों को और बढ़ा देता है क्योकि डर और अवसाद के भी बहुत से लक्षण वही होते हैं जो कि हार्ट अटैक के होते हैं।
प्रिय पाठकों आपको जान लेना चाहिए कि हार्ट अटैक की तरह ही लक्षण कई रोगों या समस्याओं में भी होते हैं जैसे- गैस, एसिडिटी, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, खुन की कमी, डिप्रेशन, फोबिया, लेफ्ट साइड किडनी स्टोन आदि। अब अगर इनमें से कोई रोग है और आपको दर्द हुआ या अन्य कोई लक्षण महसूस हुआ तो आपका वह घातक अनुभव और डर मिलकर इसे और ज्यादा बढ़ाएंगे।
समस्या का समाधान क्या हो? समस्या का समाधान तो यही है कि अगर आपको हार्ट अटैक जैसे लक्षण प्रकट होते हैं तो किसी अच्छे डॉक्टर से मिले। यदि वह कहदे कि दिल में कोई समस्या नहीं है तो उसकी बात को पूरी तरह से मान ले भरोसा कर लें। यदि किसी और समस्या, जैसे गैस या सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस से आप पीड़ित हैं तो उसका उपचार करवाएं। डरे नहीं, जैसा कि मैंने कहा कि यह डर आपकी सुरक्षा के लिए तैयार हुआ है तो आप अपने मस्तिष्क को समझाए कि वह चिंता न करे, यह एक मामूली गैस या एसिडिटी का दर्द है…और हाँ, उसको समझाए कि उसे इतनी फिक्र करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप आस्तिक हैं तो याद दिलाएं अपने मस्तिष्क को कि ईश्वर के तय किए गए समय से पहले उसे मृत्यु नहीं आ सकती।
हृदय की केअर करना हम सभी का फ़र्ज़ है लेकिन यह याद रखें कि डर दिल के लिए घातक है तो डरना छोड़िए और जीना शुरू कीजिए।
पुनश्च: मेरे पास एक बूढ़ी माँ अपने बेटे को इसी डर के चलते दिखाने आई। मैंने मज़ाक में पूछा कि कितनी बार आ चुका है आपको अटैक। उसने कहा कि 14-15 बार हो चुका है। उसकी माँ ने फौरन कहा कि देखो डॉक्टर साहब करता है न ये पागल जैसी बात, अगर अटैक होता तो तीन बार में ही खत्म कर देता है वो तो इंसानों को, और इसे 15 बार आगया। मैंने उससे कहा कि यही वह तथ्य है जो तुम्हें याद कर लेना चाहिए कि अटैक इतनी बार नहीं आता। यह तो सामान्य गैस और डर है जो तुम्हें सता रहे हैं। मैंने अपनी फीस उन प्यारी सी अम्मा को देदी। उन्होंने पूछा हमें क्यो दे रहे हो आप डाकसाब? मैंने कहा कि इलाज जिसने बताया इसपर उसी का हक़ है प्यारी अम्मा। वह लड़का इसी एक बात से ठीक हुआ जिसे उसकी मां ने बताया था और मैंने उसकी तस्दीक की थी।