मैं रोज़ चमत्कार देखता हूँ और आप?
हम मनुष्य चमत्कार को नमस्कार करते हैं। जो भी अनोखी चीजें दिखती हैं उसके आगे नतमस्तक हो जाते हैं। चमत्कार करके दिखाने वाले के हम अनुयायी, भक्त या बंदे बन जाते हैं। बाबा, फ़क़ीर, जादूगरों, कलाबाजों और झाड़फूंक करने वालों को हमने भगवान तक का दर्जा दे रखा था और दे रखा है। पोटेशियम परमैंगनेट को नारियलों में भरकर उसे खून जैसा लाल रंग दिया गया और उस बाबा या फ़क़ीर के हम अनुयायी बन गए जिसने यह बता दिया कि मैंने तुम्हारी सब भूत बाधाएं/असरात दूर करदी है या तुम्हारे दुश्मन को तुम्हारे रास्ते से हटाने का प्रबंध कर दिया है। फॉस्फोरस को हाथों की उंगलियों पर रगड़कर धुएँ निकालने के चमत्कार या फिर उस धुएं को बोतल में प्रविष्ट करवा देने के चमत्कार को देखकर हम समझ बैठे कि इन्ही बाबा के पास शक्तिशाली जीन कैद है। सोडियम पर पानी डालकर आग लगा देने वाले बाबाओं ने भी अपने भक्तों और बंदों का साम्राज्य खड़ा किया है। कलाबाजियां दिखाकर भभूत, तावीज़, घड़ी, अंडा, सिक्का निकालने वाले बाबाओं ने भी अपने कई अनुयायी बनाए हैं।
क्या वाकई हमें इन छोटे मोटे सड़कछाप बाबाओं के चमत्कार देखकर इनके अनुयायी बन जाना चाहिए? क्या जादूगरी ही पैमाना है किसी के अनुयायी बनने का? नहीं। बिलकुल नहीं। मैं तो रोज़ाना बहुत बड़े बड़े चमत्कार देखता हूँ इस सृष्टि के। पृथ्वी, चंद्रमा, सूर्य और तारों का बिना किसी सहारे के एक निश्चित जगह घूमना वह भी बिना किसी त्रुटी के, क्या यह चमत्कार नहीं है? एक कोशिका से जीवों की उत्पत्ति हो जाना और वह भी अपने आप में पूर्ण, क्या यह चमत्कार नहीं है? सूर्य का अपने निश्चित समय में उगना और सारी सृष्टि को प्रकाशित कर देना तथा उस प्रकाश में सभी के लिए जीवनऊर्जा का होना क्या चमत्कार नहीं है? हमारे शरीर की यह अद्भत रचना और क्रियाविधि क्या चमत्कार नहीं है? हमारी आँखें देखती हैं, कान सुनते हैं, नाक सूंघती है, जीभ स्वाद लेती है, दिमाग का याद रखना और निर्देश देना क्या ये चमत्कार नहीं हैं? बारिश का होना, हवाओं का चलना क्या चमत्कार नहीं है? ना दिखने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का सच्चा प्रभाव क्या चमत्कार नहीं है? मछलियों का जल में भी आसानी से जीवन बिताना और पक्षियों का आकाश में उड़ना क्या चमत्कार नहीं है? यह सभी चमत्कार ही हैं जो हम रोज़ देखते हैं लेकिन रोज़ाना होने की वजह से ये हमें चमत्कार नहीं लगते। हम भी अजीब हैं जो रोज़ाना हो उसे महत्वपूर्ण नहीं मानते जबकि रोज़ाना होने वाली घटनाएं ही महत्वपूर्ण होती हैं। उनका महत्व तब पता चलता है जब वे न हो। सोचिये क्या हो अगर एक दिन के लिए सूरज ना निकले तो। हम सभी को सूरज का महत्व समझ आ जाएगा।
तुच्छ चमत्कारों को नमस्कार करना बंद कीजिए, जादूगरों, कलाबाजों, कीमियागिरी करने वालों के झांसे में अब ना फँसे। उससे प्रेम करें और उसी की भक्ति करें जिसने ये सब बड़े बड़े चमत्कार रचे जो हमेशा हमारे सामने हैं, बस ज़रूरत है तो अपनी आँखों को खोलने की। हाँ, उसी सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी खुदा या ईश्वर के दीवाने भक्त बन जाइये जिसने हम सभी को बनाया है।