भविष्य का वर्तमान न बिगाड़े
मेरे पास कुछ साल पहले एक बाबा अपना इलाज करवाने आए। उन्हें उनका एक भक्त लाया था। मैं उनके लिए परामर्श लिख रहा था और बीच बीच में कुछ और बात भी हो रही थी हमारी। उनके भक्त ने बोला कि डॉक्टर साहब यदि आप चाहें तो गुरुजी से आपके भविष्य के बारे में कुछ पूछ सकते हैं, ये एक बहुत प्रसिद्ध भविष्यवक्ता हैं। मैंने सवाल किया कि, “गुरुजी आप कब तक ठीक हो जाएंगे?” उन्होंने कहा कि, “बच्चा ज्योतिष खुद थोड़े ही बता सकता है अपना भविष्यफल।” मैंने हँसते हुए फिर कहा कि, “अच्छा यह बता दीजिए कि मैं आपको कब तक ठीक कर दूंगा…।” वे मुस्कुराए और फिर चले गए।
जब हम भविष्य पूछते हैं और भविष्यवाणी करने वाला हमें बुरा भविष्य बताता है तब हम डर जाते हैं और उसे मिटाने के लिए कोई विधि विधान करवाते हैं या प्रार्थना करवाते हैं उन भविष्यवाणी करने वाले के कहने पर। अच्छा आप बताइए कि जब हम उसे मिटा रहे हैं या कोई और उसे मिटा रहा है तो वह भविष्य कैसे हो सकता है। जो तय वक़्त पर आया ही नहीं तो फिर भविष्य काहे का!
शेख सादी अपनी किताब गुलिस्तां में लिखते हैं कि एक नजूमी (भविष्यवक्ता) के घर जब वह कहीं बाहर चला जाता था तो कोई गैर मर्द आकर उसकी पत्नी के साथ सहवास करता था। एक दिन उसने उन्हें देख लिया और उसकी पत्नी और उस आदमी को मारने पीटने और गालियां देने लगा। तब एक बुजुर्ग ने उस नजूमी से कहा कि “तू आसमानों में तारों को देखकर भविष्य कैसे बता सकता है जबकि तुझे यही नहीं पता कि तेरे घर में क्या हो रहा है?”
भविष्यवक्ता जो भविष्य हमें बताता है वह हक़ीक़त में कभी आने वाला था ही नहीं। वह तो केवल आपके मनोविज्ञान और आपकी कमज़ोरियों से अंदाज़ा लगाता है। महिलाओं और पुरुषों के मनोविज्ञान का थोड़ा सा ज्ञान, एक अच्छा कॉस्ट्यूम, कुछ अच्छे चेले, एक अच्छा सेटअप, कुछ माउथ पब्लिसिटी करने वाले निपुण प्रचारकों का तालमेल आपको एक सफल भविष्यवक्ता बना सकता है। लेकिन आप खुले दिमाग और मनोविज्ञान के ज्ञाता लोगों के लिए कभी भविष्यवक्ता नहीं बन पाएंगे। क्योंकि वे जानते हैं कि यह सिर्फ एक छलावा है।
मनुष्य डरता है और सबसे ज्यादा भविष्य से। हम डरपोक हैं। हम अनिश्चितता से डरते हैं। हम वर्तमान को छोड़कर भविष्य को बेहतर बनाने की कवायद करते रहते हैं। भविष्य आएगा भी या नहीं हमें नहीं पता लेकिन वर्तमान तो सत्य है जिसे हम यूँही बर्बाद कर रहे हैं। हम भविष्य की चिंताओं में वर्तमान को खो रहे हैं और उस वर्तमान को भविष्य में भी खोएंगे क्योंकि उस समय वह भविष्य हमारा वर्तमान होगा और हमारी भविष्य की चिंताएं हम से हमारा भविष्य का वर्तमान भी छीन लेंगी।