मां-बाप लाडला बच्चा किसे और क्यों मानते हैं?
बच्चों में मां बाप के कोई ज्यादा लाडला होता है तो कोई कम। ऐसा क्यों होता है। आखिर क्या वजह है माँ बाप के लाडले बनने के पीछे?
आदिमविकास के दौरान पुरुषों का काम भोजन का इंतजाम करना शिकार आदि के द्वारा जो बाद में कृषि करके होने लगा इसके अलावा परिवार की शिकारी जानवरों और शत्रुओं से सुरक्षा करना था। महिलाओं को घर का ख्याल रखना, बच्चों की परवरिश करना और परिवार के लिए भोजन पकाना था। पुरुषों के लिए सम्मान प्रिय था और महिलाओं को सुरक्षा। यह हमारी वैचारिकता हमारे आदिमविकास के कारण ही निर्धारित हुई है।
अब बात आती है बच्चों की, तो पिता अपने साथ भोजन की तलाश या शिकार के लिए अपने बेटों को ले जाते थे और बेटियां घर पर अपनी माँ के कामों में हाथ बटाती थीं। पिता को अपने वह बेटे ज्यादा प्रिय थे जो अच्छा शिकार करते थे यानी लक्ष्य को हासिल करते थे। अच्छे शिकारी या योद्धा को उस समय कबीलों में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। अर्थात जो भी बेटा लक्ष्य हासिल करता था, सम्मान दिलवाता था वह पिता को प्रिय था। यही आज भी है, पिता का हाथ बटाने वाले, लक्ष्य हासिल करने वाले और सम्मान दिलवाने वाले बेटे उन्हें लाडले होते हैं। इसके विपरीत गुण वाले बेटे उसके लाडले नहीं होंगे। परीक्षा को ऊंचे अंकों के साथ पास करने वाला, ऊंचे पद पर चयनित होने वाला या ऊंची तनख्वाह पाने वाला बेटा पिता को अन्य बेटों से ज्यादा लाडला होगा। पुरुषों को बेटियां वह लाडली होंगी जो उसका एक माँ की तरह ख्याल रखें और पुत्रों की ही तरह उसके सम्मान को बढ़ाए। यदि बेटियों के द्वारा ऐसा कोई काम कर दिया जाए जिससे पिता की इज्ज़त या सम्मान को ठेस पहुंची हो तो अपनी लाडली बेटी से नफरत करने लगेगा यदि सम्मान को बहुत ज्यादा आघात पहुँचा हो तो हो सकता है वह पिता अपनी बेटी को मार भी डाले क्योंकि पुरुषों के लिए सम्मान ही सबकुछ है।
मां के लिए वे बेटे ज्यादा लाडले होंगे जो उसके सामने भावनाओं का प्रदर्शन करें, उसकी समस्याओं को गौर से सुने और सबसे बढ़कर उसे सुरक्षा (आर्थिक और सामाजिक) प्रदान करे। इसके विपरीत गुण वाला बेटा उसका लाडला नही बन पाएगा। चूंकि यह गुण (सुरक्षा) वाला लड़कियों में आधुनिक काल से कुछ समय पहले तक लगभग नहीं था इसलिए माँ बेटों से ज्यादा प्रेम करती हैं बेटियों की अपेक्षा। लेकिन अब चूंकि पाषाण युग और कृषियुग के बाद औद्योगिक क्रांति तथा संचार क्रांति होने से बेटियां भी लड़को के बराबर तनख्वाह पा रही हैं और कानून व्यवस्था के द्वारा सुरक्षा का भी भरोसा दिलवा रही हैं इसलिए अब वे भी माँ की लाडली बन रही हैं…और इसमें वृद्धि ही होगी।