शक्कर का ज़हर हो जाना
सफेद रंग चाहे स्वच्छता एवं शांति का प्रतीक हो, लेकिन कुछ सफेद पदार्थ आपकी वेईंग मशीन में, आपकी ईसीजी में, आपके बीपी मॉनिटर में और लगभग सभी जाँच रिपोर्टों में अशांति ला सकते है। इसलिए आप सफेद रंग की जगह ब्राउन रंग के कुछ खाद्य पदार्थों का उपयोग करें। यह ब्राउन रंग के खाद्य पदार्थ आपके स्वास्थ्य को निखारने में काफी मददगार साबित होंगे।
किसी भी खाद्य पदार्थ को उसके प्राकृतिक रंग से नयन भावन बनाने के लिये कुछ प्रक्रियाओं से गुजा़रा जाता है जिसे हम प्रोसेसिंग या रिफाइनिंग कहते हैं। इस प्रोसेसिंग से खाद्य पदार्थ के कई गुण नष्ट हो जाते हैं।
शक्कर (शुगर या चीनी)
शक्कर एक दानेदार खूबसूरत सफेद रंग का पदार्थ है, जिसे आजकल मिठास का पर्याय माना जाने लगा है। सभी मीठे पदार्थों की जगह यह शक्कर ले चुकी है। गुड़, मिश्री, पिण्ड खजूर को लोग अब पुराने लोगों की चीज़ें बताकर मुँह फेर लेते हैं। आइये जानते हैं इस खुशी के वक़्त बंटने वाली मिठाई के बारे में कुछ अनजाने पहलू –
डॉ. विलियम मार्टिन ने 1957 में शक्कर को ज़हर बताया था। शायद वह हज़रत अली के कथन ‘‘हर मीठी चीज़ ज़हर है सिवाय शहद के’’ का ही समर्थन कर रहे थे। डॉ. विलियम ने यह ऐसे ही नहीं कहा था, उन्होंने यह फ्रैंच वैज्ञानिक मेगेन्डी के प्रयोगों के निष्कर्ष के बाद कहा था। 1816 में मेगेन्डी ने 10 कुत्तों पर परीक्षण किया। उन्होंने उन कुत्तों को 8 दिन तक केवल शक्कर और पानी ही दिया। परिणामतः 8वें दिन सभी कुत्ते मर गये।
सर फ्रेड्रिक बेंटिंग (1929) जो कि इंसुलिन के सह-खोजकर्ता हैं, ने देखा कि पनामा में जो किसान रिफाइन्ड शक्कर का उपयोग करते थे उनमें मधुमेह रोग आम था। जबकि जो लोग गन्ने खाते थे चाहे वह ज़्यादा मात्रा में रोज़ाना खाते थे उनमें मधुमेह बहुत ही दुर्लभ थी।
शक्कर क्यों घातक है?
आहार विशेषज्ञ शक्कर को एम्पटी या नैकेड कैलोरी कहते हैं। इसमें कोई प्राकृतिक खनिज या पोषक पदार्थ नहीं होते। जब प्राकृतिक खनिज या पोषक पदार्थ अनुपस्थित होते हैं तो इस शक्कर (कार्बोहाइड्रेट) का पाचन पूर्ण या ठीक से नहीं हो पाता। ये अधपचे कार्बोहाइड्रेट कुछ विषैले तत्वों का निर्माण करते हैं जैसे कि पायरूविक एसिड और विकृत शर्करा, जिसमें कि छः की जगह 5 कार्बन एटम होते हैं।
इसमें से पायरूविक एसिड मस्तिष्क और तंत्रिकाओं में जमा हो जाता है और विकृत शर्करा हमारे शरीर में। इस कारण से हमारा मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है और विकृत शर्करा के जमने से हमारे शरीर की अन्य कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिलती और उनका क्षय होता चला जाता है। इससे हमारा शरीर जल्दी बूढ़ा हो जाता है और कई अन्य अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
जब हम लगातार शक्कर का सेवन करते रहते हैं तो हमारे रक्त में अधिक एसिड का निर्माण होता जाता है। इस अधिक मात्रा में बने एसिड से बचाने के लिये रक्त, हड्डियों और दांतों से कैल्शियम को निकालकर खुद में मिलाता है जिससे हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और दाँत सड़ने लगते हैं। अचानक से शक्कर के रूप में मिली कैलोरी की वजह से हमारे शरीर में एक कैलोरी विस्फोट होता है। इस विस्फोट से हमारे शरीर के अंग-प्रत्यंग हक्के-बक्के रह जाते हैं। ऐसे में इस अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट को हमारा लिवर संग्रहित कर लेता है। जब बार-बार ऐसा होता है तो यह अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट वसा के रूप में लिवर पर जमा हो जाता है जिसे चिकित्सकीय भाषा में ‘फैटी लीवर’ कहते हैं। इससे लीवर का कार्य प्रभावित होता है और शरीर कई रोगों से ग्रस्त होने लगता है।
इसके लक्षणों में सबसे पहले पेट का फूलना, पेट में सीधे हाथ की तरफ दर्द होना और भारी लगना, जी मिचलाना या उल्टी जैसा लगना, एसिडिटी आदि हैं।
शक्कर रिफाइन्ड कैसे की जाती है?
असल में शक्कर का रंग पीला या भूरा होता है। इसे सफेद या चमकदार बनाने के लिये गन्ने के रस में उबालते समय सल्फर डाइआक्साइड मिलाया जाता है जिससे कि वह सुंदर चमचमाते सफेद दानों में परिवर्तित हो जाती है। यही प्रक्रिया इसे सफेद ज़हर बना देती है।
हम सबसे ज़्यादा शक्कर कैसे खाते हैं?
चाय में, मिठाई में, कोल्डड्रिंक्स में (10 ग्राम प्रति 100 मि.ली. में), चॉकलेट में, आईसक्रीम में, इसे हम रोज़ाना खाते हैं।
शक्कर के हानिकारक प्रभाव
- मधुमेह (डायबिटीज़)
- हृदय रोग
- जोड़ों की समस्या
- दांतों की सड़न
- लकवा
- मस्तिष्क क्षय
- फैटी लिवर
- कैंसर
- चर्म रोग
- मोटापा
- आई.बी.एम.
- यौन समस्याएँ आदि
शक्कर या शुगर के विकल्प
खजूर, गुड़, शहद, फल, स्टेविया।