क्या आपको खुद को समझाना आता है?

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आपके दोस्त को बिज़नेस में भारी नुकसान हो जाता है आप जाकर उसे हिम्मत दिलवाते हैं कि फ़िक्र मत करो तुम्हारे पास एक बेहतरीन दिमाग और तजुर्बा है जिसकी बदौलत तुम फिर से अब ठीक कर लोगे। आपका बेटा परीक्षा में अच्छे अंक नही ला पाने के कारण निराश है, आप उसे कहते हैं कि बेटे अंकों से तुम्हारी काबिलियत नहीं आंकी जा सकती, तुम अद्भुत हो और असीमित प्रतिभा के धनी हो। आपके रिश्तेदार को एक गंभीर बीमारी घेर लेती है, आप उसे दिलासा देते हैं कि इतनी क्यों चिंता करते हैं कोई लाइलाज बीमारी थोड़ी हो गई है आपको, इलाज मौजूद है तो चिंताएं कैसी?

आप लोगों को समझाने, उन्हें प्रेरित करने और उनकी हौंसला अफजाई करने में निपुण हैं, वाकई काबिले तारीफ है। यह एक अद्भुत प्रतिभा है जिसके आप मालिक हैं, लेकिन क्या आप खुद को प्रेरित करते हैं, क्या आप खुद को हौसला दिलवाते हैं, क्या आप खुद को हिम्मत देते हैं, क्या आप खुद को समझाते हैं, क्या आप खुद को डर से निपटने के लिए तैयार करते हैं…? शायद नहीं। हम डरे हुए हैं, निराश हैं, चिंतित हैं, हिम्मत खो चुके हैं, अवसादग्रस्त और अकेले हैं… क्यों? क्योंकि हम खुद से बात नहीं करते, हम खुद को समझाते ही नहीं हैं, हम कभी खुद से रूबरू ही नहीं होते, हम कभी खुद को बताते ही नहीं हैं कि हम कितने क़ाबिल और लायक हैं, हमने कितनी समस्याओं को यूं ही चुटकियों में हल कर दिया है, हम कितने बेहतरीन दिमाग के मालिक हैं जिसने अनगिनता मुश्किलों का निपटारा किया है, हम एक बेहतरीन इंसान हैं और अतुलनीय हैं, क्योंकि आजतक हम जैसा कोई इस धरती पर पैदा ही नहीं हुआ।

मैंने अपने रोगियों और परिचितों को देखा है जो कि अवसादग्रस्त या डिप्रेशन के चंगुल में फसे होते हैं, वे कभी खुद से बात नहीं करते, वे कभी खुद को दिलासा नहीं देते, वे कभी नहीं बताते कि वे सारी समस्याओं से लड़कर जीतने में सक्षम हैं…। बस यहीं एक काम है जिसे यदि ठीक ढंग से करना शुरू कर दिया जाए तो मानसिक तनाव काफी हद तक खत्म हो सकता है और एक आनंदमय जीवन जीया जा सकता है। आप जब बात करेंगे खुद से तो पहले से प्रोग्राम्ड हमारा दिमाग नकारात्मक ऊर्जा, परिणाम और छवि ही दिखाएगा लेकिन जब आप अपनी छोटी बड़ी कामयाबियों और तथ्यों को याद करेंगे तो मस्तिष्क आपके सकारात्मक सुझावों और आदेशों को स्वीकार करने लगेगा। आपके मस्तिष्क को नकारात्मक संदेश बचपन में आपके पैरेंट्स, टीचर्स, दोस्त, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से मिलें होंगे। जो जो भी नकारात्मक संदेश उन्होंने आपको दिए हैं उनका नाम लिखकर उन्हें एक पेज पर लिखिए बारी बारी रोज़ाना फिर उस कागज़ को जलाकर उसकी भस्म को मुट्ठी से मसलकर फूंक दीजिये। यह आपके लिए बहुत कारगर होगा इससे आपकी नेगेटिव प्रोग्रामिंग खत्म होगी। यदि कोई गलती पहले आपसे हुई थी तो उसपर रोना और बिल्बिलाना बन्द कीजिए और उसे एक अनुभव मानिए। अनुभव आपके लिए लाभदायक होते हैं, इसलिए उन गलतियों को भी सकारात्मक रूप में लीजिए।

एक सत्य स्वीकार कीजिए कि यह एक दिन में नहीं होगा थोड़ा समय देना होगा, लेकिन परिणाम तो पहले दिन से ही महसूस होने लगेंगे। आपको रोज़ाना स्वयं से बातें करना ही चाहिए। कितना अजीब है न कि हम दुनिया भर से बातें करते हैं लेकिन खुद से कभी दो प्यार और काम की बातें नहीं करते…और ऐसे ही ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं।

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