वर्तमान को उजाड़ती भविष्य की बेवजह की चिंताएं

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4 साल पहले वह दिसंबर की कड़कती सर्दी की सुबह थी। मैं क्लीनिक पर अपने रोज़ाना के तय समय 9 बजे ही पहुंचा। दरवाज़े पर मेरा इंतज़ार दिल्ली से सुबह की फ्लाइट से आए एक धनाढ्य पिता और उनकी पुत्री कर रहे थे। वे मेरी किताब “बीमार होना भूल जाइए” पढ़ कर आए थे जो उन्हें उनके एक धर्म गुरु ने पढ़ने की सलाह दी थी। मेरी वह रोगी बहुत ही ज्यादा पढ़ी लिखी थी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट। मैंने उनसे उनकी समस्या जानना चाही तो उन्होंने बताया कि वह डिप्रेशन के दौर से गुज़र रही है पिछले कुछ महीनों से। सुसाइड तक करने का उसका मन हो चुका है दो से तीन बार। बेवजह रोना आता है, कुछ अच्छा नहीं लगता, अकेले और अंधेरे में रहने को दिल चाहता है। मैंने पूछा क्यों हो रहा है ये सब? उन्होंने जवाब दिया कि हमने कुछ महीनों पहले एक गायनेकोलॉजिस्ट को दिखाया था पीरियड की मामूली समस्या को लेकर, उन्होंने कुछ जांच करवा कर एक नये रहस्य का उद्घाटन किया कि भविष्य में उसके मां बनने की संभावना 50% ही है (एन्टी मुलेरियन हार्मोन की रीडिंग और पॉलीसिस्टिक ओवरी की सामान्य सी समस्या के आधार पर)। मैंने कहा कि इसमें आप इतनी चिंता ले रही हैं। उसने कहा क्या इतनी बड़ी बात चिंता करने लायक नहीं है डॉक्टर? मैंने कहा यदि आप आत्महत्या का प्रयास करती हैं और उसमें सफल हो जाती हैं तो पता है तब आपके मां नही बनने की संभावना निःसंदेह 100% हो जाएगी। क्या आपके जीवित रहे बगैर आपकी समस्या खत्म हो सकती है, क्या आपका तनाव इस माँ बनने की संभावना को 50 से और कम नहीं कर देगा। सच कहूं तो हमारे पास उपचार के लिए आने वाली लगभग 60% निःसंतान दंपत्तियों की 100% जांचें बिल्कुल सामान्य होती हैं लेकिन फिर भी उन्हें संतान नहीं होती और कइयों की जांचें देखकर आश्चर्य होता है कि इन्हें संतान कैसे हो गई इतनी जटिलताओं के बावजूद। मेडिकल साइंस में ऐसे भी अनगिनत केस हैं जिन्हें संतान टुबैकटॉमी करवाने के के बाद हुई हैं। यक़ीन मानिए मेरी उस अतिज्ञानी रोगी का यही बातें इलाज थी। उसे भविष्य की बेवजह की चिंताओं ने घेर लिया था और वह उसके समाधान के लिए खुद से सवाल भी नहीं कर रही थी, समाधान के लिए कुछ ऑन पेपर तैयारी किये बगैर अपनी जान देकर समस्या से मुंह मोड़ रही थी।और उस डरावने चिकित्सक की बातों को 100% सत्य साबित करने वाली थी। अभी यह लेख लिखने का विचार मुझे उसके मेल को पढ़कर ही आया जब उसने खुश खबरी दी कि- “आज मुझे ईश्वर ने एक परी जैसी सुंदर बेटी दी है…शुक्रिया डॉक्टर उस वक़्त मेरे बेवजह के डर को खत्म करने में मेरी मदद करने के लिए।”

मेरे पास आने वाले अधिकांश तनाव और डिप्रेशन की चिंता के रोगी कभी समस्या की जड़ में नही जाते न उसके हल के लिए कोई ऑन पेपर वर्क करते हैं। सिर्फ घुलते रहते हैं, सोचते रहते हैं, रोते बिलखते रहते हैं, अंधेरे में दबे छुपे और कुचले रहते हैं… और अन्ततः बर्बाद हो जाते हैं।

एक बार एक बहुत सुंदर युवती ने अपने डिप्रेशन की वजह यह बताई कि उसे डर है कि उसकी सुंदरता भविष्य में कहीं चली न जाए। जबकि उसे ईश्वर ने वर्तमान में इतनी सुंदरता दी थी कि यदि वह 100 कुरूप कन्याओं में बांट दी जाए तो वे भी सुंदर हो जाए लेकिन भविष्य का बेवजह का डर उसके चेहरे का नूर छीन रहा था और उसकी खूबसूरती को घटा रहा था। उसे ज़रूरत थी तो ईश्वर पर आस्था की और उन युवतियों को देखकर सुकून पाने कि जो उससे कई हज़ार गुना कम सुंदर लेकिन खुश थी।

कुछ हासिल कर के उसे खोने का डर, बहुत बुरे हालात के आजाने का डर, कुछ बुरा घटित हो जाने का डर, कुछ हासिल न हो पाने का डर, किसी बीमारी के हो जाने का डर, संतान को खो देने का डर, जीवनसाथी को खो देने का डर…आदि, आदि। ऐसे कई भविष्य के बेवजह के डर हमसे हमारा वर्तमान छीन लेते हैं और देदेते हैं एक बुरा भविष्य जो हकीकत में एक सुनहरा और सुंदर भविष्य था जिसे हमारी चिंताओं की झुर्रियों ने कुरूप कर दिया है। क्या आप अपने भविष्य को सुंदर बनाना चाहते हैं तो उसके लिए सारी चिंताएं त्याग दीजिये और ज़ोर से कहिए “ईश्वर ने चाहा तो, जो होगा अच्छा ही होगा।” इन शब्दों का उबटन अपने भविष्य पर रोज़ाना लगाएं और बनाए अपने भविष्य को खूबसूरत…

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