वे 11 लोग शहीद हुए हैं हमारे लिए
कॉपर या तांबा जब ज़रूरत से ज्यादा शरीर मे चला जाता है तो क्या आप जानते हैं उससे क्या होता है? तांबा शरीर में जब बहुत ज्यादा मात्रा में पहुंच जाए तो उससे होती है एक क्रूर बीमारी ‘विल्सन डिजीज’। मैंने अपने जीवन मे इसके कई रोगी देखे हैं… जिनकी मृत्यु के दिन बहुत ही क्रूर और लंबे थे। यह रोग लिवर सिरोसिस, किडनी डैमेज, ब्रेन डैमेज, नसों का खराब हो जाना और कॉपर का आंखों में जमा होकर आंखों को खराब कर देना इन सब समस्याओं का समूह है। इस बीमारी का रोगी दिन रात मरता है। कुछ भाग्यशाली रोगी अच्छा इलाज मिलने से ठीक भी हो जाते हैं लेकिन अधिकांश के भाग्य में कब्र और चिताएं ही लिखी होती हैं।
क्या आपको पता है कि मैं आज आपको यह क्यों बता रहा हूँ? हाँ, इसलिए कि इस बीमारी से बचने के लिए ही तमिलनाडु के तूतीकोरिन के जागरूक नागरिक स्वयं को और आने वाली पीढ़ियों को इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए वेदांता की स्टरलाइट यूनिट के कॉपर प्लांट से फैलने वाले प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और हमारी सरकार ने उन पर बेरहमी से गोलियां चलाई। ऐसे जैसे वे कोई आतंकवादी वारदात को अंजाम देने आए थे। एक बच्ची के मुंह में रिवॉल्वर ठूंस कर गोली मारी गई…बहुत निर्दयता पूर्वक, अमानवीय। वे अपना जीवन, अपने बच्चों का जीवन और स्वास्थ्य मांगने ही तो आए थे। जिसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उन्हें संविधान और प्रत्येक धर्म देता है।
100 दिन से प्रदर्शन कर रहे इन लोगों पर किसी का भी ध्यान नहीं गया। न मीडिया का, न सरकार का और न हमारा। आखिर क्यों जाता हम लड़ने, झगड़ने, नफ़रतें फैलाने और आईपीएल तमाशा देखने में जो व्यस्त हैं। असल मुद्दा तो यह है प्रदूषण जो रोज़ाना हज़ारों की जान ले रहा है। मैं साम्प्रदायिक हिंसाओं के भी सख्त खिलाफ हूँ लेकिन सच कहूँ तो उससे बहुत कम जाने जाती है। अगर हिसाब लगाया जाए तो एक वर्ष की साम्प्रदायिक हिंसा से ज्यादा जानें प्रदूषण मात्र एक घंटे में ले रहा है। कैंसर, किडनी डैमेज, लिवर डैमेज, पैरालिसिस, हार्ट अटैक रोज़ाना हम देशवासियों को कत्ल कर रहे हैं लेकिन हम सब सो रहे हैं। याद रखे पूंजीवाद के बाद सभी देश और देश की सरकारें एक व्यापारी की तरह व्यवहार करने लगे हैं और व्यापारियों के हितों के लिए फैसले लेते हैं। व्यापारी ही अपने हितों के अनुसार सरकार बना रहे हैं और उन्हीं के लोग सरकारों की नीतियों का निर्माण कर रहे हैं। यहां आपका और हमारा हित कहीं है ही नहीं अगर थोड़ा बहुत है तो वह सिर्फ एक उपभोक्ता होने के नाते है, अन्यथा हम कोई हैसियत नहीं रखते। हमें लड़ाया जाता है, ध्रुवीकृत और बांटा जाता है ताकि हम मूल समस्याओं से बेपरवाह रहें और यह सब यक़ीन मानिये पहले से निर्धारित है।
आओ प्रदूषण के खिलाफ उठ खड़े हो, खुद को और बाकी इंसानों और जन्तुओं और पृथ्वी को बचाने के लिए। जो 11 लोग पुलिस फायरिंग में निर्दयता पूर्वक मारे गए हैं आओ उन्हें शहीद का दर्जा दें क्योंकि वे वाकई शहीद हुए हैं।