पिता के द्वारा संतान का प्रेम उनकी माँ को सम्मान दिए बगैर नहीं पाया जा सकता

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एक पिता अपनी संतानों से प्रेम और सम्मान पा ही नहीं सकता यदि उसका व्यवहार अपनी पत्नी के प्रति क्रूरतापूर्ण हो। यह हम इंसानों का आदिम विकास और मनोवैज्ञानिक पहलू है कि हम सबसे ज्यादा जुड़ाव, लगाव और प्रेम अपनी माँ से ही महसुस करते हैं। हमारी माँ का जो सम्मान करता है वह हमारे लिए सम्मानीय बन जाता है और जो हमारी माँ के साथ बुरा सुलूक करता है वह हमारा शत्रु बन जाता है। यदि आप अपने बच्चों से बहुत प्रेम करते हैं, उनपर जान लुटाते हैं, उनकी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं, उनके सपने साकार करने में दिन रात जुटे रहते हैं फिर भी वे आपसे प्रेम नहीं करते, वे आपसे बात करना भी पसंद नहीं करते न आपकी कोई परवाह उन्हें हैं तो इसकी सबसे ज्यादा संभावना है कि आपका उनकी माँ के साथ व्यवहार ठीक नहीं है। आप अपनी पत्नी को प्रेम करेंगें, उसे सम्मान देंगे और उसकी परवाह करेंगें तो बदले में आपके बच्चे भी आपसे प्रेम करने लगेंगे चाहे आप उन्हें ज्यादा प्रेम और ज्यादा परवाह न भी करते हो तो भी। अपने बच्चों की माँ को सम्मान और प्रेम दिए बिना आप अपने बच्चों के दिल में जगह बना ही नहीं सकते चाहे इसके लिए आप अपना सबकुछ न्योछावर ही क्यों न कर दें उनके सामने। आदिमविकास के दौरान औरत का काम अपने बच्चों को पालना, घर को बनाना और उन्हें भोजन पका कर देना था। भोजन पकाने और बच्चों के लालन पालन की जिम्मेदारी माँ की थी और भोजन इकट्ठा कर के लाने की जिम्मेदारी पिता की। बच्चे बचपन का अधिकांश समय माँ के साथ ही बिताते हैं इसलिए वे भावनात्मक रूप से माँ के ज्यादा नज़दीक होते हैं और गर्भनाल से 9 माह का जुड़ाव तो माँ के अलावा किसी और से संभव ही नहीं है। यह सब मिलकर हमें माँ से सबसे ज्यादा लगाव रखने वाले बच्चे बना देते हैं। तो यदि आप वाकई चाहते हैं कि आपकी संतान आपसे बहुत सारा प्रेम और आपका सम्मान करें तो आपको चाहिए कि आप उनकी माँ के साथ अच्छा बर्ताव करें…हाँ, अभी से।

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