मैं अक़्सर सोचता हूँ कि क्या कोई व्यक्ति केवल अपने अच्छे कर्मों के आधार पर महान बन सकता है? और हमेशा गहराई में जाकर पाता हूँ कि बिल्कुल नहीं, केवल कर्मों के आधार पर महान नहीं बना जा सकता। महान बनने के लिए एक पूरी मशीनरी, एक पूरी योजना और बहुत बड़ा जनसमर्थन चाहिए होता है वर्तमान में भी और भविष्य में भी। आपके अनुयायी या आपके फॉलोवर ही आपको महान बनाते हैं। अगर अनुयायी स्वयं सिस्टम बन जाए तो आपको महान कहलाने से कोई नहीं रोक सकता। हम ऐसे अनेक उदाहरण देखते हैं जिसमें कि तथाकथित महान व्यक्ति ने कुछ भी महान नहीं किया लेकिन उनके अनुयायी उसे महानता की पदवी दिलाने पर तुले हुए हैं। मूर्तियों का निर्माण हो, बड़े बड़े संग्रहालय का निर्माण हो, सड़कों और शहरों के नाम उस व्यक्ति के नाम पर रखना उसे महान घोषित करने के हथकंडे हैं।
मान लीजिए कि एक पराक्रमी योद्धा है, वह युद्ध में इस वीरता से लड़ता है कि उसका महान कहलाना लगभग तय है लेकिन अंत में जीत विरोधी सेना की हो जाती है। अब विरोधी सेना क्या उसकी शान में वीर रस से परिपूर्ण कविता या शायरी का पाठ करेगी? नहीं, कदापि नहीं। अब वह योद्धा इतिहास में गुम हो जाएगा… वैसे ही जैसे आज की औंस की बूंदे दोपहर में गुम हो जाती हैं। अब यदि बाज़ी पलट जाती और उस वीर योद्धा की सेना जीत जाती तो? यकीनन उसके देश और राज्य वाले उसे महानतम घोषित कर देते। तो प्रिय पाठकों महानता एक भ्रम है। महानता काल, स्थिति, परिस्थिति और सबसे बड़े अनुयायियों के लाभ पर निर्भर करती है। ‘आपको महान बनाने से किसी को क्या लाभ होगा’ यही मुख्य वजह होगी आपके महान कहलाने की। आपकी महानता से किसी को भी कोई लाभ नहीं है तो आप भुला दिए जाओगे। कोई आपका नाम लेवा नहीं होगा जैसे कि दुनिया ने असंख्य बेहतरीन लेखक, कवि, समाजसुधारक, नेता, योद्धा, रणनीतिकार और गुरुओं को भुला दिया है।
आप किसे महान मानते हैं महत्वपूर्ण यह है। महत्वपूर्ण यह हरगिज़ नहीं है कि आपको किसे महान बताया जा रहा है। जाने और समझे कि किसी व्यक्ति को महान बताने से किसे लाभ मिल रहा है और यह लाभ आपके लिए लाभदायक है या नहीं? उनकी महानता से आपको कोई ऊर्जा मिलती है या नहीं? यदि आप कसौटियों पर तोलकर किसी को महान बना रहे हैं तो कुछ हद तक महानता आपके लिए भ्रम नहीं रहेगी।